Friday, June 30, 2023

JBT vacancy in Chandigarh

 

Chandigarh Education Department

For JBT Teachers recruitment in Chandigarh 




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Link active -20 July 2023 

PGT & post vacancy in TAM India govt.





जनजातीय कार्य मंत्रालय विभाग द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती हेतु आवेदन आमंत्रित किए गए हैं इस भर्ती की वर्तमान आयु सीमा व शैक्षणिक योग्यता और आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया नीचे उपलब्ध है।
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भर्ती विभाग का नाम 
Ministry of tribal affair

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आवेदन करने की तिथि 
Start date  28 2023 
Last date  31/07/ 2023


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Post                                          Vacancies
Principal                                     303 
PGT                                            2266 
Accountant                                 361
Jr. Secretariat Assistant (JSA)   759 
Lab Attendant                            373 
Total                                          4062




सभी पदों की विस्तृत जानकारी हेतु नीचे 
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मंत्रालय की स्थापना 1999 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के विभाजन के बाद अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के एकीकृत सामाजिक-आर्थिक विकास पर अधिक केंद्रित दृष्टिकोण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।जनजातीय मामलों के मंत्रालय एकीकृत भारतीय समाज के तहत विशेषाधिकार प्राप्त है अर्थात् एक समन्वित और नियोजित तरीके में अनुसूचित जनजाति वर्गों के सामाजिक - आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से गठित किया गया था। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के समग्र नीति की योजना बना है, और अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए कार्यक्रमों के समन्वय के लिए नोडल मंत्रालय है। प्रयोक्‍ता कार्यों और योजनाओं आदि पर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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MDU, kuk admission & Merit list

 

MDU UG, PG admission Distance & regular mode 2023-24 👇👇

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Kuk University IIHS  UG, PG

 admission & Merit list 2023-24👇👇


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Thursday, June 29, 2023

12. Pol.sci.समकालीन विश्व




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 कक्षा 12 राजनीतिक विज्ञान (समकालीन विश्व राजनीति) प्रश्न-उत्तर 

अध्याय 1. शीतयुद्ध का दौर

प्रश्न शीतयुद्ध के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) यह संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और उनके साथी देशों के बीच की एक प्रतिस्पर्धा थी।
(ख) यह महाशक्तियों के बीच विचारधाराओं को लेकर एक युद्ध था।
(ग) शीत युद्ध ने हथियारों की होड़ शुरू की।
(घ) अमरीका और सोवियत संघ सीधे युद्ध में शामिल थे।
उत्तर: (घ) अमरीका और सोवियत संघ सीधे युद्ध में शामिल थे।

प्रश्न 2. निम्न में से कौन-सा कथन गुट निरपेक्ष आन्दोलन के उद्देश्यों पर प्रकाश नहीं डालता?
(क) उपनिवेशवाद से मुक्त हुए देशों को स्वतंत्र नीति अपनाने में समर्थ बनाना।
(ख) किसी भी सैन्य संगठन में शामिल होने से इंकार करना।
(ग) वैश्विक मामलों में तटस्थता की नीति अपनाना।
(घ) वैश्विक आर्थिक असमानता की समाप्ति पर ध्यान केन्द्रित करना।
उत्तर: (ग) वैश्विक मामलों में तटस्थता की नीति अपनाना।

 

प्रश्न :-1 शीतयुद्ध के काल में दोनों महा शक्तियों ने एक तरफ तो हथियार की होड़ की तथा दूसरी ओर हथियार सीमित करने के लिए  की। क्यों?

उत्तर :- हथियारों की होड़ :- अपना वर्चस्व स्थापित करना।

अति उत्तम तकनीक के हथियार। ज्यादा ताकत के परमाणु बम बनाना।

हथियार को सीमित करना :- दोनों देशों को ही अपने नष्ट होने का भय।

हथियार निर्माण से धन को बचाना।  शास्त्र परिसीमन संधिया की।

महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन क्यों रखती थीं? तीन कारण बताइये
उत्तर: महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ निम्न कारणों से सैन्य गठबंधन रखती थीं-

1.     महत्त्वपूर्ण संसाधन तथा भू-क्षेत्र हासिल करना महाशक्तियाँ महत्त्वपूर्ण संसाधनों, जैसे तेल और खनिज आदि पर अपने नियंत्रण बनाने तथा इन देशों के भू-क्षेत्रों से अपने हथियार और सेना का संचालन करने की दृष्टि से छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन रखती थीं।

2.     सैनिक ठिकाने महाशक्तियाँ इन देशों में अपने सैनिक अड्डे बनाकर दुश्मन के देश की जासूसी करती थीं।

3.     आर्थिक मदद छोटे देश सैन्य गठबंधन के अन्तर्गत आने वाले सैनिकों को अपने खर्चे पर अपने देश में रखते थे, जिससे महाशक्तियों पर आर्थिक दबाव कम पड़ता था।

 

प्रश्न :-2 शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद क्या गुटनिरपेक्षता की नीति प्रसांगिक अथवा उपयोगी है? स्पष्ट करें।

उत्तर :-1  विकासशील की नीति की प्रसंगिकता।

2 NIEO को लागू करना।3 अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी पहचान तथा अस्तित्व बनाना।

4 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में विकसित देशों के वर्चस्व को चुनौती देना।

5 गरीब देशों के आर्थिक शोषण के विरुद्ध एकजुटता। 6 विश्वशांति तथा नि:शस्त्रीकरण लागू करना।

प्रश्न :-3 शीतयुद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए

उत्तर :- i दो ध्रुवीय विश्व का उदय ii सैन्य संधिया का गठन

iii गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उदय  iv हथियारों की होड़ शुरू

v महाशक्तियों की ओर से वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में प्रतियोगिता

अध्याय 2 दो ध्रुवीयता का अंत

प्रश्न 1. सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौनसा कथन गलत है?
(क) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।
(ख) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व / नियन्त्रण होना।
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।
(घ) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियन्त्रण राज्य करता था।
उत्तर: (ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।

प्रश्न 2. निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएँ।
(क) अफगान संकट
(ग) सोवियत संघ का विघटन
(ख) बर्लिन दीवार का गिरना
(घ) रूसी क्रान्ति।
उत्तर:
(क) रूसी क्रान्ति, (1917)
(ख) अफगान संकट, (1979)
(ग) बर्लिन दीवार का गिरना (1989)
(घ) सोवियत संघ का विघटन, (1991)

3. निम्नलिखित में से कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का कारण नहीं है ?

(a) सोवियत शासन प्रणाली में नौकरशाही का नियंत्रण अधिक था
(b) वहाँ एक दलीय शासन व्यवस्था थी, जो जनता के प्रति उत्तराधिकारी नहीं थी
(c) सोवियत संघ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पिछड़ गया।
(d) कम्युनिस्ट पार्टी ने सम्पूर्ण सोवियत संघ के क्षेत्रों में जनसामान्य को संतुष्ट रखा था ।

 

द्वितीय विश्वयुद्ध 1939-1945 तक मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र के बीच हुआ था जिसमें से मित्र राष्ट्र की जीत हुई थी।

मित्र राष्ट्र-=  अमेरिका (USA), फ्रांस, ब्रिटेन (UK), सोवियत संघ (USSR)

 धुरी राष्ट्र:-  जापान, जर्मनी ,इटली

शीतयुद्ध :- शीतयुद्ध से अभिप्राय उस तनावपूर्ण राजनीतिक स्थिति से हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सन् 1945-90 तक संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच जारी रहा|

" दो ध्रुवीयता का अंत "

दो-ध्रुवीयता :-द्वितीय विश्व यद्ध के बाद के दौर को दो ध्रुवीयता कहा जाता है, जिसमें संपूर्ण विश्व दो समूह यानी सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में बट गया था। 

निम्नलिखित कथन के पक्ष या विपक्ष में एक लेख लिखें – “दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारत को अपनी विदेश नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परंपरागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमेरीका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

 

पक्ष में तर्क:
1.
सेवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका ही महाशक्ति के रूप में रह गया है। सुरक्षा के लिए हमें अमेरिकी गुट में चले जाना चाहिए।
2.
अमेरिका की अर्थव्यवस्था अच्छी है और साथ ही परमाणु हथियार की दृष्टि से भी ये संपन्न है।
विपक्ष में तर्क:
सोवियत संघ ने 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के आर्थिक तथा तकनीकि विकास में बहुत मदद की। भारत को अंतरिक्ष में पहुँचाने के लिए सोविसत संघ ने तकनीकि सहायता की। आर्यभट्टऔर ऐपलइस मित्रता के प्रतीक हैं।

 

सोवियत संघ की विशेषता :-

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

उन्नत संचार प्रणाली

विशाल ऊर्जा संसाधन

उन्नत घरेलू उपभोक्ता उद्योग

आगमन की अच्छी सुविधाएं

राज्य का स्वामित्व

शॉक थेरेपी क्या थी? क्या साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका था?

शॉक थेरेपी :-

रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों ने पूंजीवादी की ओर संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया जिसे विश्व बैंक और IMF ने इस मॉडल को शॉक थेरेपी का नाम दिया।

शॉक थेरेपी का अर्थ होता है आघात पहुंचाकर उपचार करना।

शॉक थेरेपी के परिणाम :-

रूस का औद्योगिक ढांचा चरमरा उठा।

90% उद्योगों को निधि हाथों या कंपनियों को बेच दिया गया।

इतिहास की सबसे बड़ी ग्रास सेल के नाम से जाना गया।

रूस की मुद्रा रूबल में गिरावट आई।

सोवियत संघ के विघटन के मुख्य कारण :-

 

सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा कसना

राजनीतिक आर्थिक संस्थाओं की आंतरिक कमजोरियां।

हथियारों की पागल दौड़ में शामिल होना।

पश्चिमी देशों की तुलना पर जनता निराश।

कम्युनिस्ट पार्टी का एकाधिकार।

मिखाईल गोर्बाचोव द्वारा सुधारों के प्रयासों का विफल होना।

सोवियत प्रणाली का सत्तावादी होना।

लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी का ना होना।

सोवियत संघ 15 गणराज्यों से मिलकर बना था और उसमें रूस का दबदबा होता था। जिससे बाकी देश अपने आप को दमित और अपेक्षित समझते थे।

संसाधनों का अधिक उपयोग हथियारों में कर रहे थे।

सोवियत संघ में मिखाईल गोर्बाचोव के सुधारों का प्रयास :-

मिखाईल गोर्बाचोव ने पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास किया।

इसके अलावा उन्होंने सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप देने का प्रयास किया।

गोर्बाचोव द्वारा सरकार और सोवियत संघ के नियंत्रण का विरोध होने के बावजूद गोर्बाचोव ने इन गड़बड़ियों में हस्तक्षेप नहीं किया।

गोर्बाचोव ने देश के अंदर आर्थिक, राजनीतिक और लोकतांत्रिक सुधारों की नीति चलाई।

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम :-

शीतयुद्ध के दौर के संघर्ष की समाप्ति हुई।

विश्व राजनीति में शक्ति संबंध बदल गए और इस कारण विचारों और संस्थाओं के अपेक्षित प्रभाव में भी बदलाव आया।

अमेरिका अकेली महाशक्ति बन बैठा।

अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नए देशों का उदय हुआ।

विचारधाराओं की लड़ाई खत्म हुई।

विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्था ताकतवर देशों की सलाहकार बन गई।

हथियारों की ओर खत्म हो गई, दूसरी दुनिया का पतन हो गया।

भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए? रूस और भारत की सोच :भारत जैसे विकासशील देशों में सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:
बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत व अन्य विकासशील देशों में अनियंत्रित प्रवेश की सुविधा। भारत की विदेश नीति में परिवर्तन आया। 1981 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अलग हुए राज्यों को भारत ने मान्यता दी तथा अपने अपने मैत्रीपूर्ण संबंध कायम रखे। भारत के रूस के साथ भी गहरे संबंध बने। रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्वास का था।
सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत को यह उम्मीद थी कि अंतर्राष्ट्रीय तनाव एवं संघर्ष की समाप्ति हो जाएगी और हथियारों की दौड़ पर अंकुश लगेगा। भारत, रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार देश बना। भारत तथा रूस विभिन्न परियोजनाओं में साझीदार है। निष्कर्षतः सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् भारत ने अपनी विदेश नीति में परिवर्तन करके भारत के हितों की पूर्ति एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को और अधिक सुधारा।


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Lesson -4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 1. तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें-
() विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
() यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
() यूरोपीय संघ की स्थापना
() आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।
उत्तर:
() यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना (1957)
() आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना (1967)
() यूरोपीय संघ की स्थापना (1992)
() विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश (2001 )

प्रश्न 2. ‘ASEAN way’ या आसियान शैली क्या है?
(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षा नीति है।
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर: (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।

प्रश्न 3. इनमें से किसने खुले द्वारकी नीति अपनाई?
(क) चीन
(ख) दक्षिण कोरिया
(ग) जापान
(घ) अमरीका।
उत्तर: (क) चीन।

प्रश्न 4.
खाली स्थान भरें-
(क) 1962 में भारत और चीन के बीच ……… और ……….. को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ………… और ……… करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में ……………. के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) ………….. योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ) आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर;
(क) अरुणाचल, लद्दाख
(ख) आसियान के देशों की सुरक्षा, विदेश नीतियों में तालमेल
(ग) अमेरिका
(घ) मार्शल
(ङ) सुरक्षा समुदाय।

उत्तरक्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य हैं-

1.     अपने-अपने इलाके (क्षेत्र) में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों और कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान ढूंढ़ना।

2.     अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक शांतिपूर्ण और सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित करना।

3.     अपने क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्थाओं का समूह बनाने की दिशा में काम करना।

4.     बाहरी हस्तक्षेप का डटकर मुकाबला करना।

 

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11th Geog.solved all lesson

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