राजनैतिक विज्ञान क्विज 6. (12/1 /23)
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लोकतंत्र की चुनौतियाँ प्रश्न उत्तर - नीचे लिंक पर क्लिक कीजिये
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3. क्विज राजनैतिक विज्ञान (all classes) 04/01/2023 नीचे लिंक पर क्लिक कीजिये https://forms.gle/gg78JFyDaDh8nH9x9
2. क्विज राजनैतिक विज्ञान (9th,11th,BA i ) लिंक पर क्लिक कीजिये
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1. क्विज राजनैतिक विज्ञान 10th, 12th, BAii
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गणतंत्र दिवस पर भाषण व प्रस्ताव
“ सम्मानित या आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय, सभाध्यक्ष महोदय, उपस्थित सज्जन , गुरुजन , भाइयों एवं बहनों! आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जैसा कि हम सभी जानते हैं इस पावन तिरंगे झंडे के नीचे भारतीय गणतंत्र दिवस महोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह न केवल एक राष्ट्रीय पर्व है, बल्कि हर भारतवासी के लिए गर्व और सम्मान की बात है।“
संबोधन वाला भाग बाद गणतंत्र दिवस पर भाषण इस दिवस का परिचय दें। गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है भारतीय संविधान की कुछ मुख्य बातों पर प्रकाश डालें। इसके बाद भारतीय गणतंत्र की स्थिति, इससे जुड़ी मुख्य समस्याओं पर प्रकाश डालें और इनके संभावित समाधान की बात करते हुए अपनी वाणी विराम दे
गणतंत्र दिवस पर भाषण - हमारे देश भारत में तीन राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं। 26 जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। यह पर्व है जो किसी जाति या समुदाय विशेष के न होकर, हर देशवासी के लिए समान महत्व रखते है। गणतंत्र दिवस देश में जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता के शासन की व्यवस्था सुनिश्चित करने वाले पर्व का उत्सव मनाया जाता है।
26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू कर हिंदुस्तान को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। इस दिन की याद में ही प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। भारत आजाद तो 15 अगस्त, 1947 को हुआ, लेकिन 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू कर गणतांत्रिक व्यवस्था को स्वीकार किया गया।
देश में लोकतांत्रिक प्रणाली की राह तैयार करने वाला संविधान 26 जनवरी को लागू किए जाने की यह तारीख भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखती है। सभी सरकारी संस्थानों में यह पर्व मनाया जाता है। मुख्य आयोजन देश की राजधानी दिल्ली में राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के रूप में आयोजित किया जाता है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों की झलक देखने को मिलती है
संबोधन वाला भाग समाप्त होने के बाद गणतंत्र दिवस पर भाषण -इस दिवस का परिचय दें ।गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है। भारतीय संविधान की कुछ मुख्य बातों पर प्रकाश डालें। इसके बाद भारतीय गणतंत्र की स्थिति, इससे जुड़ी मुख्य समस्याओं पर प्रकाश डालें और इनके संभावित समाधान की बात करते हुए अपनी वाणी को विराम दें।
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गणतंत्र दिवस पर भाषण / गणतंत्र दिवस पर निबंध - भारतीय संविधान -
गणतंत्र दिवस का इतिहास भारतीय संविधान के निर्माण के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान प्रारूप समिति गठित की गई। 2 वर्ष, 11 महीने
और 18 दिन की मेहनत के बाद प्रारूप समिति द्वारा 26 नवंबर, 1949 को संविधान बनाकर तैयार किया गया, इस दिन (26 नवंबर, 1949) को भारतीय इतिहास में संविधान दिवस, राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसमें 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया पर इसे 26 जनवरी, 1950 से लागू करने का निर्णय लिया गया। इसका कारण यह है कि भारत को आजादी मिलने से पहले स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को भारत को पूर्ण स्वराज घोषित कर दिया गया और इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद 15 अगस्त, 1947 से पहले तक हर वर्ष 26 जनवरी को भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा।
आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी की स्मृति को बनाए रखने के लिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय संविधान को लागू करने का फैसला किया गया।
पर निबंध - संविधान की मुख्य बातें
यह लिखित और निर्मित होने के साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। खास बात ये है कि इसमें विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बातों को जगह दी गई है। संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है, तो मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से और मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ से, राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड से, तो सशोधन प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से। वयस्क मताधिकार की व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। संविधान देश में एकीकृत और स्वतंत्र न्यायप्रणाली की व्यवस्था करता है। ऐसी बहुत सी खूबियां हैं जिनको नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भारतीय संविधान में जगह दी गई है। हमारा संविधान अपने आप में संपूर्ण है।
इसके बावजूद भारतीय गणतंत्र के समक्ष बहुत सी चुनौतियां हैं, जो इतना समय बीत जाने के बाद भी जस की तस हमारे सामने खड़ी है। भाई भतीजावाद,
भ्रष्टाचार - देश में आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है, स्थिति बेहद निराशाजनक होती जा रही है। जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। अधिकांश नेता, मंत्री, सरकारी अफसर, कर्मचारी जिनके पास जिम्मेदारियां हैं वे उनका ईमानदारी से निर्वाह नहीं कर रहे हैं। राजनैतिक दल सत्ता के लालच में समाज को धर्म और जातियों में बांटने की नीति चलाते हैं। जिसके चलते विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच तनाव बढ़ रहा है जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद, नक्सलवाद, राजनीति का अपराधीकरण, निर्माण क्षेत्र की अनदेखी, किसानों को फसलों का उचित मूल्य न मिलना आदि जैसी बहुत सी समस्याएं हैं जो हमारे आस-पास नजर आ जाएंगी। समस्याओं का समाधान करने की दिशा में शासन-प्रशासन तंत्र नाकाम रहा है।
हम हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भाषण सुनने को मिलते हैं, उनमें देश की समस्याओं का जिक्र होता है और गौर करेंगे तो पता चलेगा कि ये समस्याएं आज की नहीं हैं, ये तो कई दशकों से देश में मौजूद हैं और स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों, निबंधों में इनका जिक्र होता रहा है पर समाधान अब तक नहीं हो सका है। नेता, मंत्री, अफसरों के द्वारा गणतंत्र दिवस पर भाषण दिए जाते हैं पर जब देश, समाज और जनता के कल्याण के लिए काम करने की बात आती है, तो सब नाकाम नजर आते हैं। आलम यह है कि एक कई वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद जब सरकारें बदलती हैं, तो पता लगता है कि देश, प्रदेश, समाज, पंचायत का विकास तो नहीं हुआ पर उनके प्रतिनिधियों की संपत्ति में कई गुना वृद्धि जरूर हो चुकी होती है।
देश की समस्याओं को दूर करने के लिए वर्तमान व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाने की जरूरत होगी। भ्रष्टाचार लगभग हर समस्या की एकमात्र जड़ है। इसको अगर खत्म कर दिया जाए तो धीरे-धीरे बाकी सभी समस्याएं भी कम होने लगेंगी। देश की राजनैतिक व्यवस्था में भी सुधार की भारी जरूरत है। इसके लिए राजनैतिक दलों को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी और कर्मठ और ईमानदार लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाना होगा। लोकतंत्र के सभी स्तंभों यानी कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को अपनी भूमिका का अच्छे से निर्वहन करना होगा। इसके अलावा चौथा स्तंभ माने जाने वाले प्रेस को भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी। हर आदमी लोकतंत्र का हिस्सा है और सबको अपनी भूमिका का निर्वहन अच्छे से करना होगा तभी भारतीय लोकतंत्र सच्चे अर्थों में सफल हो पाएगा वरना स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों में इससे जुड़े मुद्दे उठेंगे और उसके बाद फिर वर्ष भर लोकतंत्र में जनता पिसती रहेगी और रखवाले सोते रहेंगे। ऐसी स्थिति ना आ पाए इसलिए आइए हम सब आज यह प्रण लें कि संविधान के अनुरूप आचरण करेंगे और देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाएंगे।
भाषण के अंत में "जय हिंद, जय भारत" के नारे के साथ गणतंत्र दिवस भाषण को समाप्त करें।
संविधान से संबंधित कुछ प्रश्न
1. संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष कौन थे?- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
2. मूल भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद और अनुसूचियाँ थीं?- 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूची
3. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार किस अनुच्छेद में है?- अनुच्छेद 19
4. मौलिक अधिकारों की बात किस हिस्से में की गई है?- भाग 3 (अनुच्छेद 12-35 तक)
5. राज्य सभा का सभापति कौन होता है?- उपराष्ट्रपति
6. भारतीय संविधान को कब अपनाया गया?- 26 नवंबर, 1949
7. भारतीय संविधान कितने समय में बनकर तैयार हुआ?- 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में
8. किस संशोधन के बाद संपत्ति का अधिकार कानूनी अधिकार बन गया?- 44वें
भारतीय संविधान की मुख्य बातें क्या हैं?
यह लिखित और निर्मित होने के साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बातों को जगह दी गई है। संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है तो मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से और मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ से, राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड से तो सशोधन प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से। वयस्क मताधिकार की व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। संविधान देश में एकीकृत और स्वतंत्र न्यायप्रणाली की व्यवस्था करता है। ऐसी बहुत सी खूबियां हैं जिनको नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भारतीय संविधान में जगह दी गई है। यह अपने आप में संपूर्ण है।
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